*”मेघ”*
मेघ बरसे ,
बिजुरिया चमके ,
रुत सुहानी ,
पवन पुरवाई ,
वर्षा की अंगड़ाई ।
नाचे मयूर ,
कूके है कोयलिया ,
सुमन खिले ,
महकती बगिया ,
भरे ताल तलैया ।
सावन आया ,
तनमन भींगते ,
घटा गरजे ,
धरा पे बूँद गिरे ,
धरती हरे भरे।
शशिकला व्यास ✍
मेघ बरसे ,
बिजुरिया चमके ,
रुत सुहानी ,
पवन पुरवाई ,
वर्षा की अंगड़ाई ।
नाचे मयूर ,
कूके है कोयलिया ,
सुमन खिले ,
महकती बगिया ,
भरे ताल तलैया ।
सावन आया ,
तनमन भींगते ,
घटा गरजे ,
धरा पे बूँद गिरे ,
धरती हरे भरे।
शशिकला व्यास ✍