मेघ
मेघ को किस ने बरसना सिखलाया
मन को किस ने तरसना सीखलाया
जाने भी दो वो कोई भी हो, रहता चाहे कहीं भी हो
हर सर के लिए मगर कोई छप्पर क्यूं नहीं दिलवाया
~ सिद्धार्थ
मेघ को किस ने बरसना सिखलाया
मन को किस ने तरसना सीखलाया
जाने भी दो वो कोई भी हो, रहता चाहे कहीं भी हो
हर सर के लिए मगर कोई छप्पर क्यूं नहीं दिलवाया
~ सिद्धार्थ