Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2021 · 1 min read

मेघ रुपहले राज छुपा कर, जीवन को हरसाता है।

गीत
सागर गहरे राज समा कर,जीवन को अपनाता है ।
मेघ रूपहले राज छुपा कर,जीवन को हरसाता है।

प्रातः धरती की प्यास बढ़ाने,सूरज नभ में आता होगा।
जल बिन मछली जैसे तड़पे ,धरती को तड़पाता होगा।
अब प्यास बुझाने राही की, जब मेघा जल बरसाता है ।
मेघ रुपहले राज छुपा कर ,जीवन को हरसाता है ।

सागर गहरे राज समा कर ,जीवन को अपनाता है।

काले काले मेघा आकर, बूंद-बूंद ,जल बरसाते हैं ।
नदिया नाले पोखर गड्डे ,जल ही जल से भर जाते हैं ।
प्यास बुझा कर प्यासा राही ,मन को मन में समझाता है।
मेघ रुपहले राज छुपा कर, जीवन को हरसाता है।

सागर गहरे राज समा कर, जीवन को अपनाता है।

जलधारा की एक बूंद भी, ऐसे व्यर्थ नहीं करना ।
जल का संग्रह ऐसे करना, जैसे धन संग्रह करना।
राही मृग तृष्णा में भटके ,मरुथल जल दर्शाता है ।
मेघ रुपहले राज छुपा कर, जीवन को हरसाता है ।

सागर गहरे राज समा कर, जीवन को अपनाता है।

डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम

2 Likes · 8 Comments · 354 Views
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all

You may also like these posts

धन की खातिर तन बिका, साथ बिका ईमान ।
धन की खातिर तन बिका, साथ बिका ईमान ।
sushil sarna
कहां  गए  वे   खद्दर  धारी  आंसू   सदा   बहाने  वाले।
कहां गए वे खद्दर धारी आंसू सदा बहाने वाले।
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
समिधा सार
समिधा सार
Er.Navaneet R Shandily
ग़ज़ल _ इस जहां में आप जैसा ।
ग़ज़ल _ इस जहां में आप जैसा ।
Neelofar Khan
सपने
सपने
अशोक कुमार ढोरिया
"Where do I run when home doesn't feel home anymore."
पूर्वार्थ
एक ही ज़िंदगी में कई बार मरते हैं हम!
एक ही ज़िंदगी में कई बार मरते हैं हम!
Ajit Kumar "Karn"
चंद शेर
चंद शेर
Shashi Mahajan
जो धधक रहे हैं ,दिन - रात मेहनत की आग में
जो धधक रहे हैं ,दिन - रात मेहनत की आग में
Keshav kishor Kumar
"नोटा"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरा मोल मेरे दुश्मन ने ही जाना है कि।
मेरा मोल मेरे दुश्मन ने ही जाना है कि।
Ashwini sharma
गुरु
गुरु
Dr Archana Gupta
*हुई हम से खता,फ़ांसी नहीं*
*हुई हम से खता,फ़ांसी नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
रामलला
रामलला
Saraswati Bajpai
माँ बाप खजाना जीवन का
माँ बाप खजाना जीवन का
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
कविता
कविता
Shiva Awasthi
माहिया - डी के निवातिया
माहिया - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
आज
आज
*प्रणय*
प्रेम,पवित्रता का एहसास
प्रेम,पवित्रता का एहसास
Akash RC Sharma
*जीवन का सार यही जानो, कल एक अधूरा सपना है (राधेश्यामी छंद )
*जीवन का सार यही जानो, कल एक अधूरा सपना है (राधेश्यामी छंद )
Ravi Prakash
समुंद्र की खिड़कियां
समुंद्र की खिड़कियां
ओनिका सेतिया 'अनु '
आज जबकि इतना वक़्त हो चुका है
आज जबकि इतना वक़्त हो चुका है
gurudeenverma198
उलझन से जुझनें की शक्ति रखें
उलझन से जुझनें की शक्ति रखें
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
सबकी सलाह है यही मुॅंह बंद रखो तुम।
सबकी सलाह है यही मुॅंह बंद रखो तुम।
सत्य कुमार प्रेमी
দিনের পরে দিন গুনে হয়ে যায়
দিনের পরে দিন গুনে হয়ে যায়
goutam shaw
3126.*पूर्णिका*
3126.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
- तेरे लिए मौत से भी लड़ जाऊंगा -
- तेरे लिए मौत से भी लड़ जाऊंगा -
bharat gehlot
मैं कभी भी भीड़ के साथ नही खड़ा होना चाहता हूं।
मैं कभी भी भीड़ के साथ नही खड़ा होना चाहता हूं।
Rj Anand Prajapati
I am Sorry
I am Sorry
Mr. Bindesh Jha
नारी के मन की पुकार
नारी के मन की पुकार
Anamika Tiwari 'annpurna '
Loading...