मेघा क्यों बृजगाँव में आए
मेघा क्यों बृजगाँव में आए
मेघा क्यों बृजगाँव में आए
नहीं तनिक तुम हमको भाए
उलट पैर अभी जाओ पुरी को
जहाँ राज मोहन मन छाए ।
कहना उन बिन ऊसर मधुवन
नहीं चहकता अब नंदनवन
सूना सूना सब बृजमंडल है
नहीं महकता है वृंदावन ।
साँवरिया के मधुर मिलन बिन
मेघ ऋतु भला किसे सुहाए
ले जाओ संग बदरी अपनी
क्यों व्यर्थ तुम मधुपल गवाए ।
मेघा क्यों बृजगाँव में आए. .
डॉ रीता