में हूँ हिन्दुस्तान
में हूँ हिन्दुस्तान ————-में हूँ हूिन्दुस्तान
हर मज़हब के लोग यहाँ में इस लिए महान
पहले गैरों ने लूटा अब लूट रहे हैं अपने
मुफलिस के भी ये यहाँ पे बेच रहे हैं सपने
मेरी गोद में रह कर ये ऐसे गुल खिलाये
इनको शर्म ना आए शैतान भी शर्मा जाये
कई गुनाह नही करते माँ के सामने अपनी
ऊपर मेरी ज़मीं के सारे गुनाह कर जाये
और उसको फिर माँ कहें मैं बहुत हैरान
में हूँ हिन्दुस्तान ———–में हूँ हिन्दुस्तान
मन्दिर, मस्जिद, गुरूद्वारे, मेरी गोद में हैं सारे
जब भैद नही में रखता हूँ तुम क्यों रखते हो प्यारे
ज़ात, धर्म, पर करते हो कितना यहाँ बखेडा है
अब तो ऐसा लगता है हर कोई मेरा लुटेरा है
तुम सब लेकर बैठे हो यहाँ अपने-अपने धर्मों को
क्या मुझसे भी पूछा है यहाँ धर्म क्या तेरा है
कोई कहता में सिख,हूँ कोई हिंदू, मुसलमान
में हूँ हिन्दुस्तान————- में हूँ हिन्दुस्तान
इरशाद आतिफ़ अहमदाबाद