Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Apr 2023 · 1 min read

– में शायर यू घूम रहा अपनी शायरा को ढूंढ रहा –

– में शायर यू घूम रहा अपनी शायरा को ढूंढ रहा –
छदों का समर्पण हु में,
अलंकार का अर्पण हु,
शब्द शक्ति का बोध हु में,
मन से अबोध हु में,
सीधा साधा सबका प्यारा,
सबका ही दुलारा हु में,
शायरी लिखने का रखता हु में बोध,
कविता लेखन का में करता प्रयास,
में शायर ऐसे ही घूम रहा ,
अपनी शायरा को ढूंढ रहा,
कोई जाकर उसको बतलाए,
उसको एक बार मुझसे मिलाए,
✍️✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184 –

Language: Hindi
188 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चमकते चेहरों की मुस्कान में....,
चमकते चेहरों की मुस्कान में....,
कवि दीपक बवेजा
दिन की शुरुआत
दिन की शुरुआत
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मैं कभी तुमको
मैं कभी तुमको
Dr fauzia Naseem shad
होठों को रख कर मौन
होठों को रख कर मौन
हिमांशु Kulshrestha
!!! भिंड भ्रमण की झलकियां !!!
!!! भिंड भ्रमण की झलकियां !!!
जगदीश लववंशी
लोगों को जगा दो
लोगों को जगा दो
Shekhar Chandra Mitra
चर्चित हो जाऊँ
चर्चित हो जाऊँ
संजय कुमार संजू
तेवरी में रागात्मक विस्तार +रमेशराज
तेवरी में रागात्मक विस्तार +रमेशराज
कवि रमेशराज
मैं तूफान हूँ जिधर से गुजर जाऊँगा
मैं तूफान हूँ जिधर से गुजर जाऊँगा
VINOD CHAUHAN
*बेफिक्री का दौर वह ,कहाँ पिता के बाद (कुंडलिया)*
*बेफिक्री का दौर वह ,कहाँ पिता के बाद (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मेरी औकात
मेरी औकात
साहित्य गौरव
अच्छे दामों बिक रहे,
अच्छे दामों बिक रहे,
sushil sarna
👩‍🌾कृषि दिवस👨‍🌾
👩‍🌾कृषि दिवस👨‍🌾
Dr. Vaishali Verma
वक़्त
वक़्त
विजय कुमार अग्रवाल
तिरस्कार,घृणा,उपहास और राजनीति से प्रेरित कविता लिखने से अपन
तिरस्कार,घृणा,उपहास और राजनीति से प्रेरित कविता लिखने से अपन
DrLakshman Jha Parimal
तुम घर से मत निकलना - दीपक नीलपदम्
तुम घर से मत निकलना - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मईया रानी
मईया रानी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
कुछ बीते हुए पल -बीते हुए लोग जब कुछ बीती बातें
कुछ बीते हुए पल -बीते हुए लोग जब कुछ बीती बातें
Atul "Krishn"
सफल हुए
सफल हुए
Koमल कुmari
ये साल भी इतना FAST गुजरा की
ये साल भी इतना FAST गुजरा की
Ranjeet kumar patre
3465🌷 *पूर्णिका* 🌷
3465🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
लघुकथा-
लघुकथा- "कैंसर" डॉ तबस्सुम जहां
Dr Tabassum Jahan
व्यवहारिक नहीं अब दुनियां व्यावसायिक हो गई है,सम्बंध उनसे ही
व्यवहारिक नहीं अब दुनियां व्यावसायिक हो गई है,सम्बंध उनसे ही
पूर्वार्थ
थी हवा ख़ुश्क पर नहीं सूखे - संदीप ठाकुर
थी हवा ख़ुश्क पर नहीं सूखे - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वाह नेता जी!
वाह नेता जी!
Sanjay ' शून्य'
हम छि मिथिला के बासी
हम छि मिथिला के बासी
Ram Babu Mandal
नारी
नारी
Acharya Rama Nand Mandal
गमों की चादर ओढ़ कर सो रहे थे तन्हां
गमों की चादर ओढ़ कर सो रहे थे तन्हां
Kumar lalit
Loading...