– में लेखक तुम मेरी लेखिका –
में लेखक तुम मेरी लेखिका –
मेरी कविताओं में तुम्हारा ही नाम,
मेरी गजले करे तुम्हारे नाम का बखान,
मेरे शेरो में है तुम्हारी खूबसूरती का व्याख्यान,
मेरे मुक्तक करे तुझको सलाम,
मेरी हर रचना,
मेरे हर सृजन में तुम्हारे नाम की भरमार,
मेरी शायरी में रहे बस तुम्हारा ही नाम,
चांद सी हो महबूबा तुम मेरी,
मेरी लेखन को देती नई धार,
मेरी लेखनी करे जपे तुम्हारा नाम,
में लेखक तुम मेरी लेखिका,
तूझसे ही मेरा साहित्य तुझसे ही मेरा संसार,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान