में उसे अपना बनाने में लगा रेहता हूँ..
गुजरे लम्हों को भूलाने में लगा रेहता हूँ,
में उसे अपना बनाने में लगा रेहता हूँ..
ख्वाहिशें है कई,अधूरी न रेह जाय कोई,
करके ये ख्याल कमाने में लगा रहता हूँ
में उसे अपना बनाने में लगा रेहता हूँ ।
करते हैं उजागर वो सरेआम गमो को अपने,
और में अपना दर्द छुपाने में लगा रेहता हूँ।
में उसे अपना बनाने में लगा रेहता हूँ ।
गिरा हूँ इश्क़ में खुद मुँह के बल दोस्तों,
पर इश्क़ के अपाहिजों को चलाने में लगा रेहता हूँ।
में उसे अपना बनाने में लगा रेहता हूँ ।
नादाँ रोती है हर छोटी बातों को लेकर
में छोड़ के हर काम हँसाने में लगा रेहता हूँ।
में उसे अपना बनाने में लगा रेहता हूँ ।
कपिल जैन