-मेंरी पीड़ा -(कर्ण की पीड़ा)
-मेरी पीड़ा-(कर्ण की पीड़ा)
मेरी पीड़ा कुछ ऐसी है,
नही बताने जैसी है,
कर्ण सा में जीवन जीऊ,
अपनो का में दंश सहु,
संजोए सपनों का विध्वंस सहु,
कर्म पे में अटल रहू,
वेदनाओ का पहाड़ सहु,
दुखों की आंधी से न डरू,
मेरी क्या गलती जो,
मैने ऐसा कुलवंश पाया,
नियति ने मुझे गति दी,
उसके चलन से ही में चल पाया,
अपनो ने रखा दूर मुझे,
कभी नही अपनाया मुझे,
करके मेरा उपहास सदा,
खुद को मुझसे श्रेष्ठ बताया,
मेरी पीड़ा कुछ ऐसी है,
नही बताने जैसी है,
भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र-7742016184-