मृत्यु
मौत संसार का एक अटूट सत्य है ,
फिर भी इंसान को यह झूठ लगता है।
हर रोज हम किसी न किसी,
किसी को विदा होते इस,
संसार से देखते हैं।
लेकिन फिर भी अपनी ,
मृत्यु के बारे में कभी ,
नहीं सोचते हैं ।
आज इंसान को पैसे की ,
होड़ इतनी है ।
कि वह यह भी भूल गया ,
कि उसे भी 1 दिन दुनिया छोड़नी है ।
लगा है अपने स्वार्थ के लिए ,
एक दूसरे का दिल दुखाने में ।
नहीं जानता साथ कुछ न ,
जाएगा इस मखाने से ।
अरे ! मस्त दीवाने ।
धीरे धीरे छोड़ दे यह ,
दुनिया की धूम में रहने के बहाने।
एक दिन तुझे भी जाना है।
यह याद रख।
क्यों फिरता है,
झूठे जमाने में।
क्या रखा है इस दुनिया में।