Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jun 2021 · 2 min read

” क्या सुख ? क्या दुख ? “

” क्या सुख? क्या दुख ? ” ©
_______________________

मौत का मंजर भी कितना अजीब है |
क्या सही में ये कोई दुख जताने की चीज है ?

क्यूँ रो रहे हो भाई, क्या दुख है ?

देखो तो सही, हर तरफ सुख ही सुख है |
मानो तो फिर, हर तरफ दुख ही दुख है |

सही मायनों में ना दुख है ना सुख है |

क्यूँ तु इस अटल सत्य से विमुख है ?
ये शरीर तो नश्वर है आत्मा ही तो प्रमुख है |

ये तो हमारी भावनाओं का ही बनाया रुख है |
जो देता कभी सुख तो देता कभी दुख है |

जितनी तीव्रता भावनाओं में होगी |
उतनी ही तीव्रता से सुख और दुख के बादल उमड़ेंगे |

हर दुख का कारण भोगा हुआ वो सुख हैं |
और हर सुख का कारण भोगा हुआ दुख हैं |

लगाव सुखी करता हैं
और अलगाव दुखी करता हैं |

हर दुख का कारण वो लगाव हैं
अंततः मिलता भी तो अलगाव हैं |

इस जीवन में सुख एक उछाल हैं |
तो दुख एक गिराव हैं |
जरुरत हैं तो स्थिरता की
जो सुख दुख से कोसों परे हैं |

अब बताओ कहाँ है सुख ?
और कहाँ दुख है ?

ना कोई सुख हैं ना ही कोई दुख हैं |

ये तो सिर्फ अपनी भावनाओं का रुख हैं |
जो देता कभी सुख तो देता कभी दुख हैं |

मौजूद है तो सिर्फ शांति और शून्यता….
और कर्म प्रधान पुण्यता….

मिलेगी तो सिर्फ हम सबकी आत्मा
और सामने होगा हमारा परमात्मा

सुख और दुख से कोसों परे
सिर्फ परमशान्ति को साथ धरे |

__________________

स्वरचित एवं
मौलिक रचना

लेखिका :-
©✍️सुजाता कुमारी सैनी “मिटाँवा”
लेखन की तिथि :-7 जून 2021

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 273 Views

You may also like these posts

यूं जो देख मुझे अब मुंह घुमा लेती हो
यूं जो देख मुझे अब मुंह घुमा लेती हो
Keshav kishor Kumar
ख़ुद पे गुजरी तो मेरे नसीहतगार,
ख़ुद पे गुजरी तो मेरे नसीहतगार,
ओसमणी साहू 'ओश'
अरे...
अरे...
पूर्वार्थ
सोचना नहीं कि तुमको भूल गया मैं
सोचना नहीं कि तुमको भूल गया मैं
gurudeenverma198
जिसनें जैसा चाहा वैसा अफसाना बना दिया
जिसनें जैसा चाहा वैसा अफसाना बना दिया
Sonu sugandh
भारतीय नारी शक्ति
भारतीय नारी शक्ति
Annapurna gupta
वो गुरु हमारा
वो गुरु हमारा
Abhishek Rajhans
"किसी दिन"
Dr. Kishan tandon kranti
2787. *पूर्णिका*
2787. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*प्रेम*
*प्रेम*
डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद"
जन्मभूमि
जन्मभूमि
Rahul Singh
बात हमेशा वो करो,
बात हमेशा वो करो,
sushil sarna
*ठेला (बाल कविता)*
*ठेला (बाल कविता)*
Ravi Prakash
नीचे तबके का मनुष्य , जागरूक , शिक्षित एवं सबसे महत्वपूर्ण ब
नीचे तबके का मनुष्य , जागरूक , शिक्षित एवं सबसे महत्वपूर्ण ब
Raju Gajbhiye
गीतिका
गीतिका
Ashwani Kumar
अपनी सूरत
अपनी सूरत
Dr fauzia Naseem shad
यही रात अंतिम यही रात भारी।
यही रात अंतिम यही रात भारी।
Kumar Kalhans
मरूधर रौ माळी
मरूधर रौ माळी
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
वसंत
वसंत
Madhavi Srivastava
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
रोज रात जिन्दगी
रोज रात जिन्दगी
Ragini Kumari
जिंदगी एक सफर सुहाना है
जिंदगी एक सफर सुहाना है
Suryakant Dwivedi
वह एक हीं फूल है
वह एक हीं फूल है
Shweta Soni
रोक दो ये पल
रोक दो ये पल
Dr. Rajeev Jain
आसमां से गिरते सितारे का एक लम्हा मैंने भी चुराया है।
आसमां से गिरते सितारे का एक लम्हा मैंने भी चुराया है।
Manisha Manjari
पैसा आपकी हैसियत बदल सकता है
पैसा आपकी हैसियत बदल सकता है
शेखर सिंह
प्रभु श्री राम आए हैं...
प्रभु श्री राम आए हैं...
इंजी. संजय श्रीवास्तव
मुझे पतझड़ों की कहानियाँ,
मुझे पतझड़ों की कहानियाँ,
Dr Tabassum Jahan
बातों की कोई उम्र नहीं होती
बातों की कोई उम्र नहीं होती
Meera Thakur
ऊंची इमारतों में रहने वाले
ऊंची इमारतों में रहने वाले
Chitra Bisht
Loading...