— मृत्यु अटल सत्य —
एक था व्यापारी
जो था बड़ा घबराया
सोच सोच के उसका
मन भर आया !!
एक दिन तो जाना ही है
यह कैसे पता चलेगा
सोचा काल से करूँ दोस्ती
उस से ही सब पता चलेगा !!
काल ने कहा देखो भाई
जाना तो जाना ही है एक दिन
मैं आने से पहले लिख दूंगा
पाती तुम समझ जाना,
की जाने के दिन अब आये !!
वक्त बीता व्यापारी सब भुला
उसको याद नही था कब जाना
आ गए काल लेने उस को
बोला तुम झूठे , बिन बताये
दोस्त को लेने चले आये !!
काल बोला हुए बाल सफ़ेद
दांत हिलने लगे, आँख ने
दिया कुछ समझाए ,रोग आये
पर तुम तो फिर भी समझ न पाए !!
बोला ले लो धन और दौलत मेरी
कुछ तो समझा करो रे भाई
काल बोला यह कलियुग का पैसा
वहां किसी के काम न आये !!
मृत्यु अटल है , यही सच है
किस भ्रम में जिए हो भाई
नंगे आये, नंगे ही हर कोई जाए
आज तक तुम समझ न पाए !!
इस दुनिया का उस दुनिया से
कोई रिश्ता नाता नही है भाई
यह मिटटी के पुतले हैं बस
यह उस के दिए बनाए
कितने सांस हैं, कब तक के हैं
पैदा होते ही, सब लिख दिया जाये !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ