मृत्यु अंतिम सत्य है
मृत्यु अंतिम सत्य है
======= कविता
सच से क्यूं भाग रहे हो ?
कब तक भागोगे ?
कहां तक भागोगे ?
और……
कितना भागोगे ?
क्या इससे कोई बचा है ?
क्या इसको कोई हरा पाया है ?
क्या इससे कोई जीत पाया है ?
क्या इसको कोई छल पाया है ?
…… नहीं …… नहीं ….. नहीं …।
तो तुम क्यूं भाग रहे हो?
सामना क्यूं नहीं करते
मृत्यु अंतिम सत्य है ………
चाहें मनुष्य हो ,पशु हो , पंक्षी हो या फिर वृक्ष …….
हर सजीव का अंत निश्चित है।
………यही प्रकृति का नियम है।
हां आज का माहौल और दृश्य
सभी को बहुत आहत कर रहे हैं
…….डरा रहें हैं ।
क्यूंकि अपनों की लाशें ढो रहे हैं कांधों पर
पड़े हैं कुछ अपनों के शव ….नदी – नालों में
जिन्हें नौच – नौंच कर खा रहे हैं है
…..चील ,कौआ, कुत्ते और अन्य
दफ़न है कुछ अपनें तपती रेत के नीचे
कुछ को जलाया जा रहा है कूड़े के ढेर की तरह …..घासलेट, पेट्रोल और पुराने टायरों से ,
…….माना मरना निश्चित है
पर इस तरहा की कल्पना शायद किसी ने की हो….. क्या आपने की ….? …….शायद नहीं।
……जलते शमशान और मौत के इन भयंकर मंजरों को देखकर मैं तो बस इतना ही कहूंगा कि…….
जीतनी सांसें है, मानवता में लगा दें।
तू भी अपना नया , इतिहास बना दे।।
तू रहे ना रहे ,तेरा काम बोलेगा ।
इतिहास महापुरुषों से सदियों तक तौलेगा।।
पर ये तो बता , क्या तेरा भी खून खौलेगा ?
या अब भी अंधभक्तों की, जुबान बोलेगा ??
=========
जनकवि/बेखौफ शायर
…… डॉ.नरेश कुमार “सागर”
(इंटरनेशनल साहित्य अवार्ड से सम्मानित )