मृत्युंजय_कौन्तेय
पराजय की जो जय कर दे,वो कर्ण बन पाओगे क्या।।
“गांडीव”को जो मौन कर दे,वो “विजय” बन पाओगे क्या।
गंगा में उसको बहा कर,हा माँ ने उसको त्यागा था..
अस्तित्व अपना खोकर के जिया,वो सूतपुत्र अभागा था..
शिक्षा लेने गया जब वो,द्रोण ने उसे नकारा था..
परशुराम से भी मिला श्रांप,वो शूरवीर बेचारा था..
दे दिया इंद्र को कुंडल कवच,ऐसा परम् वो दानी था..
जीवन मूल्यों के छांव में,मित्रता की अमर कहानी था..
अर्जुन से भी रहा श्रेष्ठ, वो कुरुक्षेत्र में प्रलयंकारी था..
जगत में ऐसा दूजा नहीं ,उससे बड़ा कोई धनुर्धारी था..
नमन है ऐसे परमवीर को,जो केशव को प्यारा था..
मर कर भी है अमर सूर्यपुत्र,जग ने यह स्वीकारा था..
पराजय की जो जय कर दे,वो कर्ण बन पाओगे क्या।।
“गांडीव”को जो मौन कर दे,वो “विजय” बन पाओगे क्या।।
#राधेय”