मूर्दन के गांव
ई तअ मूर्दन के गांव हो
जीवन लागल दांव हो…
(१)
एक जाति के गर्दन पर
एक जाति के पांव हो…
(२)
चूहा जइसन कुतरेला
लोगवा अपने नांव हो…
(३)
नफरत के तेज धूप बाटे
प्यार के नइखे छांव हो…
(४)
मानवता के लाश पर
कउन के कांव-कांव हो…
(५)
एगो जिंदा इंसान खातिर
इहां ना कवनो ठांव हो…
#गीतकार
शेखर चंद्र मित्रा
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