मूर्ती माँ तू ममता की
मूर्ती माँ तू ममता की, विनती सुनले बेटा की
बड़ा पापी अधम, आ गया है शरण, करने माँ तेरी दर्शन।
दिखा दे मैया, तरसे ये दोनों नयन, माँ हरछन।।
हो भव की खेवैया, तूही अम्बे मैया
तू जग की रचैया, शेरावाली माँ
बड़ा निर्मल है काया, अदभुत है माया
तेरा दर लगता प्यारा, ज्योतावाली माँ
तेरी महिमा बड़ी निराली, माँ तारा खप्परवाली।
बड़ा पापी अधम, आ गया है शरण, करने माँ तेरी दर्शन।
दिखा दे मैया, तरसे ये दोनों नयन, माँ हरछन।।
जो जो आए भिखारी, माँ झोली ले खाली
झोली भरती सारी, तूही मेरी माँ
माँ ऊंची भवन में, ये ऊंची गगन में
“बसंत” के मन में, बसी तूही माँ
माँ तूही श्यामाकाली, करती जग की रखवाली।
बड़ा पापी अधम, आ गया है शरण, करने माँ तेरी दर्शन।
दिखा दे मैया, तरसे ये दोनों नयन, माँ हरछन।।
✍️ बसंत भगवान राय
(धुन: अल्लाह करे दिल ना लगे किसी से)