मूंछ
परम मित्र कवि ने,
मुझसे लिया पूछ,
पहले सफाचट,
अब मूछ।
क्या हो गई भूल,
क्या है राज?
नकली फराटे दार मूंछ,।
मैं ठिठक गया,
झट जवाब दिया,
माया के 3 नाम,
परसा परशु परसराम।
नारायण अहिरवार
अंशु कवि
सेमरी हरचंद होशंगाबाद
(मध्य प्रदेश)