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16 Jan 2024 · 1 min read

मुॅंह अपना इतना खोलिये

मुॅंह अपना इतना खोलिये
कोई देने में नहीं सकुचाय।
इतना भी मत फाड़िये कि
स्वर सुनते ही छुप जाय।

पारस नाथ झा

Language: Hindi
140 Views
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