मुहूर्त
मुहूर्त
हर पल है नया पल
हर दिन है नया दिन
हर सूर्योदय
लाता है नवकिरणें
देता है स्फूर्ति
हर सूर्यास्त
लेता है समेट वर्तमान को
कर देता है
इतिहास के सुपर्द
एक नए सूर्योदय के
आश्वासन के साथ
फिर किसका मुहूर्त?
कैसा मुहूर्त?
धरती पर मुहूर्त
देखकर आए थे?
या धरती से
मुहूर्त देखकर जाएंगे?
नहीं ना
फिर कैसा मुहूर्त?
किसका मुहूर्त?
-विनोद सिल्ला