मुहावरे पर आधारित व्यंग रचना
मुहावरे आधारित व्यंग रचना
बूंद बूंद से सागर भरता,
हो गई बात अब पुरानी।
भ्रष्ट नेताजी तो पी गये,
देखो! पूरा सागर पानी।
सुनते हैं, हमारे देश में,
शासित सर्वत्र लोकतंत्र।
पुलिस कहाँ से पा गई,
जनता से उगाही के मंत्र।
गठबंधन की सरकार में,
खूब हो रही खींचातानी।
खोले एक दूजे के राज,
आँखों में दिखे न पानी।
राजमद में डूबे अघाड़ी,
कानून से तनिक न डरते।
रख ताक पर राजधर्म,
अपनी ही ये जेबें भरते।
जनता बनो तुम अब सजग,
दिलाना याद इनको भी नानी,
अपने मत का कर उपयोग,
पिला दो इनको भी पानी।
उषा शर्मा
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