मुहब्बत
‘#दिनांक 8/10/2023
#शीर्षक:-मुहब्बत’
जा छोड़ दिया तेरी यादों को,
आजाद किया ,
क्योंकि खुद पर पकड़ आ गयी है !
कमजोर नहीं मैं अब रही,
मुझमें अकड़ आ गयी है !
तेरे सोच से परे ,
क्या क्या चीजें छोड़ी है मैंने ,
कोई मलाल नहीं तेरे जाने का ,
पूर्ण विराम की जिन्दगी आ गयी है !
मुहब्बत करना हमारे बस में नहीं ,
लेकिन दूर चले जाना हमारे बस में था !
हदों में प्यार दुनिया करती ,
बेहद मेरे दिल में था !
तेरी हो ना सकी ,कोई बात नहीं ,
साथ जी ना सकी, कोई मलाल नहीं,
तेरे नाम पर यह जीवन लिख दिया है !
मुझे नशा है तुझे याद करने का,
और ये नशा सरेआम करती हूँ !
हर मोड़ पर टकरा जाते हो ,
मुस्कुराना खुलेआम करती हूँ!
जिस्म नहीं माथा चूमा उसने,
मुझसे नहीं मेरी रूह से प्यार किया उसने!
नाराजगी में हमारी बात नहीं होती ,
पर दोनो तरफ यादों का,
सिलसिला भी कम नहीं होती!
लगा दूरी में मुहब्बत खतम हो जायेगी ,
जो खतम हो जाए,
ओ मुहब्बत नहीं हुआ करती!
रूह को छूकर, जुदा होकर भी,
हर रोज उसी को चुनती हूँ ,
हाँ मैं खुद मुहब्बत हूँ,
मुहब्बत से चलती हूँ,
प्रेम एक शक्ति है जो ,
आपके लिए हर बंधन तोड सकती है,
पर स्वयम् किसी बंधन में नहीं बॅधती |
रचना मौलिक,अप्रकाशित,स्वरचित और सर्वाधिकार सुरक्षित है।
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई