इश्क में यार जां से अधिक अज़ीज़ है
मसला मुहब्बत का नहीं यार मसले हैं मुहब्बत में
सभी समझाइश झेलनी पड़ती है यार मुहब्बत में
मुझे बिल्कुल नहीं शऊर रिवायती मुहब्बत की
तुम तहज़ीबी लोग ही पढ़ो कलमे मुहब्बत में !
चाहो तो चाॅंद सितारों पे टांग दो नाम ए महबूब, या
फिर जुबां से कहो खुदा हुआ महबूब मुहबत में !
मुझे इश्क में यार जां से अधिक अज़ीज़ है
बस मैं पूजती नहीं उसे कभी मुहब्बत में !
~ सिद्धार्थ