मुहब्बत बा जरूरी
वज़्न – 1222 1222 122
अर्कान – मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन
बह्र – हज़ज मुसद्दस महजूफ़
काफ़िया – अत
रदीफ़ – बा जरूरी
ग़ज़लकार- सन्तोष कुमार विश्वकर्मा सूर्य
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ग़ज़ल- मुहब्बत बा जरूरी
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घड़ी भर के मुहब्बत बा जरूरी।
मुहब्बत में लिखल खत बा जरूरी।
सफलता पैर के जूती बनी जी,
कइल खुद पर अकीदत बा जरूरी।
कबो माँ बाप के मत छोड़ दीहऽ,
बचाई धूप से छत बा जरूरी।
हवा पानी धरा नभ के बचावऽ,
जिये खातिर हिफाजत बा जरूरी।
सदा टहलल करऽ उठ के सुबेरे,
रहे ला स्वस्थ आदत बा जरूरी।
बइठ जइहऽ सदा माई लगे तू,
जबे लागी कि जन्नत बा जरूरी।
करऽ नफरत मुहब्बत यार कुछऊ,
सफलता ला ई’ शिद्दत बा जरूरी।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य’
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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