मुहब्बत का घुट
मुहब्बत का घुट
मुहब्बत छुपा है दिल में मेरी.
मुहब्बत का घुट पी लिया.
देख देख अब नयन तारो से
चातक बनकर जी लिया..
तुम रहती है गगन मार्ग पर
, मै धरा रहकर देख लिया.
प्रेम पूजारीन मेरी मुहब्बत
किरण को तुम भेज दिया,
धधक रहा है अंगारो सा दिल
धड़कन दिल को शांत किया
दूर रहकर भी मेरी मुहब्बत
विजय हृदय को प्राप्त किया..
कब मिलोगी,तुम मेरी मुहब्बत
तुम पर मै अधि नाज किया.
बहा रहा हूँ मै नयन नीर अब
दिल को मेरा तुम थाम लिया.
दूर रहकर मेरी मुहब्बत
नयन बान से वार किया
विजय दिल तो खाली है
मुहब्बत देकर हलाल किया..
डॉ. विजय कंन्नोजे अमोदी आरंग जिला रायपुर
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