“मुहब्बत करने वाले”
दूर खड़े होकर ये मुस्कुराने वाले..
कितने ज़ालिम है ये दिल को जलाने वाले..
गुज़रता हूं पास से तो रोकते ही नहीं..
पत्थर दिल है मेरी रुक्सती पर हाथ हिलाने वाले..
न जाने हर रोज़ कितनो का करते है क़त्ल..
बड़े क़ातिल होते है नज़र मिलकर नज़र चुराने वाले..
और तो वो देते है महताब को भी मात.,
अपनी ज़ुल्फो की रुख से हटाने वाले..
जिंदा कर कर के हर रोज़ मारते है मुझे.,
इश्क़ का मुझसे इम्तेहान लेने वाले..
न जाने कितना तोड़ जाते है मुझको ये क्या बतलाए,
मेरे हर कलाम पर मेरा हौसला बढ़ाने वाले..
मै ज़माने के रिवाज से बहुत परेशान हूं ज़ैद,
अक्सर छोड़ जाते है साथ निभाने वाले..
(#ज़ैद_बलियावी)