मुस्तक़बिल
मुस्तक़बिल
मेरा मुस्तकबिल इतना दगाबाज़ नहीं हो सकता
मेरा कल मेरे आज का मोहताज़ नहीं हो सकता
मेरी लाचारी का इनाम इतना कम नहीं हो सकता
मुझे तो पल पल भोगने को तैयार हो नही सकता
मेरा कल मेरे आज का मोहताज़ नहीं हो सकता
मैने जो भी कियाअसर इतना कम नहीं हो सकता
मेरा कल मेरी लाचारी भरा नहीं हो सकता
मेरा मुस्तकबिल इतना निर्दयी नहीं हो सकता
मेरा कल मेरे आज से बेकार नहीं हो सकता
मैंने आज माँ को रोते देखा हैं, मेरेकल के लिए
मैंने पापा को खोया हैं,पुनर्जन्म के लिए
मैंने आज इच्छा की है, सुनहरे कल के लिए
मैंने आज रात दिन एक किया है, तेरे कल के लिए
मैने आज जाने का वादा किया है कल आने के लिए