मुस्तक़िल बेमिसाल हुआ करती हैं।
मुस्तक़िल बेमिसाल हुआ करती हैं।
मुफ़लिसी मेहरबान ध्यान धरती है।।
नज़रों से इश़ारा किया करते हैं।
दिल की जुवां बोला करती हैं।।
झेल बैठें है ज़िन्दगी में यूं ही ग़म।
इक तरफ़ी प्यार रुलाया करती है।।
झूठें वादें न किसी से करना।
ख्वारों के संग गुल खिला करती है।।
सच्चें आशिक मुश्किल से मिलतें है।
बेदर्दी दिल को न दुआ करती है।।
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झांसी उ•प्र•