मुस्कुरा दीजिए
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मीठी यादों को स्मरण कर मुस्कुरा दीजिए,
मन पसंद गीत कोई पुराना गुनगुना दीजिए।
पड़ गई दिल पर जो कड़वाहटों की झुर्रियां,
संवाद का लेप लगाकर ज़रा मिटा दीजिए।
प्यार में जीत हार की कोई जगह ही नहीं,
हार में भी जीत का ही केवल मज़ा लीजिए।
मोहब्बत को मोहब्बत से ही जीत लें,
मोहब्बत को इबादत का सिला दीजिए।
बढ़ा ली हैं दूरियां जो इश्क़ की राहों पर,
ख़फ़ा होकर भी वफ़ा से सजदा कीजिए।
ढलती ज़िंदगी की शाम न जाने कब हो जाए,
शर्तों में यूँ न समय को बर्बाद किया कीजिए।
ज़िंदगी एक अनिश्चित सफ़र है सब जानते हैं,
मन को रिश्ते निभाने का हुनर सिखा दीजिए।
डॉ दवीना अमर ठकराल ‘देविका’