मुस्कुराते तुम रहे
* मुस्कुराते तुम रहे *
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कष्ट सहकर साथ मेरे मुस्कुराते तुम रहे।
इसलिए हर वक्त मुझको खूब भाते तुम रहे।
क्षण निराशा से भरे जब जिन्दगी में आ गए
साथ मेरे हर कदम आगे बढ़ाते तुम रहे।
खिल रहे फूलों को बगिया में महकते देखकर,
आइने में देख खुद को गुनगुनाते तुम रहे।
टूटते सपने लिए जब भी कभी छलके नयन,
स्नेह की मृदु भावनाओं को जगाते तुम रहे।
रुक गए थे जब कभी भी पाँव दोनों हार कर,
राह हर अनुकूल जीवन के बनाते तुम रहे।
पी लिए चुपचाप आँसू भाव मुखड़े पर नहीं,
किन्तु अविरल अश्क खुशियों के बहाते तुम रहे।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हिमाचल प्रदेश)