मुस्कुराती रहो मोनालिसा
तेज़ी से बदलती हुई दुनिया में घटनाओं के प्रति हम उदासीन होते जा रहे हैं जैसे हमारे घर में लगी टी वी के उपर मोनालिसा की तस्वीर:-
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“मुस्कुराती रहो मोनालिसा”
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मोनालिसा की पुरानी
लटक रही बरसों
ड्राईंगरूम में टीवी के उपर
बांईं ओर
देखती सबको एक सा
हर कोई ही कहता
मुस्कुराती रहो मोनालिसा
देखती कनखियों से
हर चलती ख़बर
रहती पर हर ख़बर
से बेख़बर
देखती बाढ़
बहते गाँव
जलती ज़मीन
झुलसते पाँव
पंछी भी नहीं /ढूँढ पाते छांव
हर तरफ़ हर कोई
बस प्यासा प्यासा
सूखा ही सूखा
तुम को बस
मुस्कराती रहो मोनालिसा
कहाँ सुनती
ख़ून खराबा
दंगा फ़साद
किसी जन्मी आजन्मी
बच्ची की चीत्कार
किसी निर्भया
का बलात्कार
राह चलते
छोटी सी बात पर
किसी की हत्या
यह है प्रतिदिन की सुर्खियां
तुम तो मुस्कराती रहो मोनालिसा
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राजेश”ललित”शर्मा