मुस्कराता दर्द
अस्पताल की सेज है,
दर्द लबरेज है,
आँखें खुश्क हैं,
न कोई अश्क हैं।
चीख है आह है,
दिल में वाह वाह है
देखो कोई आ रहा है,
दर्द मुस्करा रहा है।
आया ने बताया,
देखो !कौन आया?
उल्टा लटका फ़र्द है,
मुस्कराता दर्द है।
औरत का हक़ है
न कोई शक है,
मौला का शुक्र है,
मां बनने का फक्र है।
-पूजा सृजन,
लखनऊ (उप्र)