मुस्कुराए खिल रहे हैं फूल जब।
मुस्कुराए खिल रहे हैं फूल जब।
गुनगुनाने में हुए भँवरे मगन।
आ गया है सूर्य लेकर रश्मियां।
खूब बहती जा रही शीतल पवन।
~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, १९/१०/२०२३
मुस्कुराए खिल रहे हैं फूल जब।
गुनगुनाने में हुए भँवरे मगन।
आ गया है सूर्य लेकर रश्मियां।
खूब बहती जा रही शीतल पवन।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, १९/१०/२०२३