मुस्कान
चाँदनी रात तारों के साथ यु जगमगाते हुए
और अपने घर के ऊपर वो खुला आसमान हो ।
बादलों में छुपा आधा चाँद और
तुम्हारी प्यारी सी मुस्कान घूँघट में छिपी हो ।।
तुम मेरी निगाहों के सामने बैठी हो
और काश ऐसा भी एक मेरा सपनों का जहान हो ।
लाखों करोड़ों की ये कभी ख्वाईश नहीं है
मुझे बस अपना एक छोटा सा मकान हो ।।
तुम उठो किसी रोज़ मेरे हाथों की चाय पीकर
और तुम्हारे चूमने का निशान मेरे माथे पर हो ।
तुम्हारा इंतज़ार दिन भर का वो
और तेरी वो मीठी सी मुस्कान मेरे ऑफिस से आने पे हो ।।
हमसे तुम कभी यूँ ही रुठ कर न बैठो
और फिर गले से लगाने के लिए परेशान हो ।
मैं तुमसे अगले ही पल गले से लगा के माफ़ी माँग लूँ क्योंकि गलती चाहे किसी की भी हो लेकिन तुम मेरी जान हो ।।
मुझसे तुम झूठ मुठ का झगड़ा करो
और तुम्हारा साथ देने के लिए एक नन्ही सी शैतान हो ।
मन करता है कि कम से कम ख्वाबों में ही पूरी कर लूँ
तुम्हारी सारी ख्वाईशें ही
और तुम्हारी एक हँसी पे मेरी जान ये कुर्बान हो ।।