Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2021 · 1 min read

*”मुस्कान”*

“मुस्कान”
यूँ ही नही आती किसी के चेहरों पे मुस्कान ,
संघर्ष करते हुए दर्द छुपा कर खुद से ही इश्क करना पड़ता है।
सुख दुःख की विकट परिस्थितियों में एक आसरा नजर आता है।
होनी अनहोनी के चक्कर में किसी को खोकर पाना मुश्किल होता है।
*************************
संकट की इस घड़ी में गमगीन लम्हों में भी ,
दर्द से उभरते हुए सरलता समझदारी निभाना पड़ता है।
उतार चढ़ाव इस दर्दनाक हादसे को देख ,
सही तरीके से रास्तों पे चलकर सम्हलते हुए कदम उठाना पड़ता है।
*************************
मन अधीर विचलित हो जब कुछ भी समझ न आये ,
अंतर्मन में दीप जला उम्मीद का दामन थाम मुस्कराना पड़ता है।
धन दौलत जमा पूंजी यही धरा रह जाय ,
भूली बिसरी यादों का वो खूबसूरत लम्हा चेहरे की मुस्कान झलकता है।
************************
कोई सहारा दे या न दे बेसहारा होकर भी ,
ईश्वर शरण में आकर वो सब कुह मिल जाता है।
अपने से ज्यादा अपनों को खुश करने के लिए मुस्कान बिखेरना पड़ता है।
*************************
यूँ ही हँसते हंसाते रहिये खुश रहकर चेहरों पर मुस्कान ले आईए ……
हास्य दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
शशिकला व्यास✍️

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 273 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
विवेक
विवेक
Sidhartha Mishra
राजनीति के क़ायदे,
राजनीति के क़ायदे,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
भय के कारण सच बोलने से परहेज न करें,क्योंकि अन्त में जीत सच
भय के कारण सच बोलने से परहेज न करें,क्योंकि अन्त में जीत सच
Babli Jha
चॉकलेट
चॉकलेट
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
दुनिया इश्क की दरिया में बह गई
दुनिया इश्क की दरिया में बह गई
प्रेमदास वसु सुरेखा
2816. *पूर्णिका*
2816. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कुर्सी
कुर्सी
Bodhisatva kastooriya
आज भी औरत जलती है
आज भी औरत जलती है
Shekhar Chandra Mitra
मुझे     उम्मीद      है ए मेरे    दोस्त.   तुम.  कुछ कर जाओग
मुझे उम्मीद है ए मेरे दोस्त. तुम. कुछ कर जाओग
Anand.sharma
अबके रंग लगाना है
अबके रंग लगाना है
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
■ मुक़ाबला जारी...।।
■ मुक़ाबला जारी...।।
*Author प्रणय प्रभात*
देर हो जाती है अकसर
देर हो जाती है अकसर
Surinder blackpen
"समय से बड़ा जादूगर दूसरा कोई नहीं,
Tarun Singh Pawar
बसंत
बसंत
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
बिछड़ा हो खुद से
बिछड़ा हो खुद से
Dr fauzia Naseem shad
लेख-भौतिकवाद, प्रकृतवाद और हमारी महत्वाकांक्षएँ
लेख-भौतिकवाद, प्रकृतवाद और हमारी महत्वाकांक्षएँ
Shyam Pandey
गुम लफ्ज़
गुम लफ्ज़
Akib Javed
⚘छंद-भद्रिका वर्णवृत्त⚘
⚘छंद-भद्रिका वर्णवृत्त⚘
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
उलझते रिश्तो में मत उलझिये
उलझते रिश्तो में मत उलझिये
Harminder Kaur
*जीवन में तुकबंदी का महत्व (हास्य व्यंग्य)*
*जीवन में तुकबंदी का महत्व (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
*ताना कंटक सा लगता है*
*ताना कंटक सा लगता है*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ख़ामोशी है चेहरे पर लेकिन
ख़ामोशी है चेहरे पर लेकिन
पूर्वार्थ
अवधी स्वागत गीत
अवधी स्वागत गीत
प्रीतम श्रावस्तवी
आखिर क्यूं?
आखिर क्यूं?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
पानी
पानी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*हुई हम से खता,फ़ांसी नहीं*
*हुई हम से खता,फ़ांसी नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*यदि चित्त शिवजी में एकाग्र नहीं है तो कर्म करने से भी क्या
*यदि चित्त शिवजी में एकाग्र नहीं है तो कर्म करने से भी क्या
Shashi kala vyas
ग़ज़ल/नज़्म - न जाने किस क़दर भरी थी जीने की आरज़ू उसमें
ग़ज़ल/नज़्म - न जाने किस क़दर भरी थी जीने की आरज़ू उसमें
अनिल कुमार
मैं जानता हूॅ॑ उनको और उनके इरादों को
मैं जानता हूॅ॑ उनको और उनके इरादों को
VINOD CHAUHAN
तो अब यह सोचा है मैंने
तो अब यह सोचा है मैंने
gurudeenverma198
Loading...