मुस्कराना सीखिए
सादर समीक्षा हेतु
ग़ज़ल
2122 2122 212
काफ़िया- आना
रदीफ़- सीखिए
जिंदगी में मुस्कराना सीखिए।
प्रेम से रिश्ते निभाना सीखिए।
यूँ सभी हैं खास अपने यार सब
वक्त पर तुम आजमाना सीखिए।
सब बिछाते आज कंटक राह में
सेज फूलों की बिछाना सीखिए।
दे रहे नित चोट दिल पर हैं सभी
ज़ख्म पर मरहम लगाना सीखिए।
हसरते दिल की जलाते आज सब
मोम सा ख़ुद को गलाना सीखिए।
मन्ज़िले तुम पा सकोगे एक दिन
हौंसले दिल में सजाना सीखिए।
आँख से आँसू दिखाते हैं सभी
मुश्किलों में दिल रुलाना सीखिए।
सब मदद करके करे एहसान फिर
वो हिमायत फिर चुकाना सीखिए।
आज “अभिनव” कह रहे सब ध्यान दो
माँ पिता पद सिर झुकाना सीखिए।
अभिनव मिश्र अदम्य