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7 Oct 2016 · 1 min read

मुसाफिर

हर एक व्यक्ति मुसाफिर यहाँ
मंजिल मिलेगी उसे फिर कहाँ
भटका हुआ चला जा रहा
बनेगा कोन उसका पाथेय यहाँ

पत्थर राह में पड़ें अब मिलेगें
मार्ग बाधाओं का हल करेंगे
बुद्धि विवेक का हो समन्वय
शूल ये फूलों में तब ही बदलेंगे

हर सोच रास्ते को करे सुगम
काम सारे सिद्ध होगें दुर्गम
उस प्रभु में रख तू विश्वास
पा लेगा अगम को बढ़ा कदम

बढ़ता जा मंजिल तुझे मिलेगी
हर निराश आस में बदलेगी
बादल दुख के तो छँटने ही है
एक दिन मंजिल तो दिखेंगी

~~डॉ मधु त्रिवेदी ~~

Language: Hindi
72 Likes · 387 Views
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