मुसाफिर
सुनो मुसाफिर
सुनो मुसाफिर जाने वाले,
बात जरा ये सुन जाना ।
घर में बैठीं आस लगाए,
याद उसे भी कर लेना।
1.बिन माली के कोई पौधा,
कैसे भला फल सकता है।
बिन साजन के सजनी का,
श्रृँगार अधूरा लगता है।
दर पै बैठी सजरी सँवरी का ,
ख्वाब पूरा कर देना..
2.सावन मास बैरी मे बैरन,
वियोग मे जोगन बन बैठी है।
प्रियतम जी आएंगे घर पर,
नयन बिछाए बैठी है।
सावन न सूखा रह जाए,
झूले खूब झूला देना…
3.वक्त बीत जो जाता है,
हाथ कभी न आता है।
जो भी उसकी कद्र न समझे,
रहा सदा पछताता है।
वादा जो किया है उससे,
तनिक उसे भी निभा जाना..
4.मौसम कितना भी अच्छा हो,
दिल को रास न आता है।
हर क्षण तेरी याद का झौंका,
जान तेरी को तडफाता है।
साँसें कहीं न थम जाँए,
जीने की राह दिखा जाना…
……सुखविंद्र सिंह