मुसाफिरखाना
इन विरानों में रौनक,
कुछ पल ही ठहर पाते हैं।
आते हैं कुछ बेबस से,
पुरजोश हो लौट जाते हैं।
बसर नहीं करते ये मुसाफिर,
पहले ही आजमाते हैं।
चंद लम्हें को ही सही,
मुसाफिरखाने तो भर जाते हैं।
ओसमणी साहू ‘ओश’ रायपुर (छत्तीसगढ़)
इन विरानों में रौनक,
कुछ पल ही ठहर पाते हैं।
आते हैं कुछ बेबस से,
पुरजोश हो लौट जाते हैं।
बसर नहीं करते ये मुसाफिर,
पहले ही आजमाते हैं।
चंद लम्हें को ही सही,
मुसाफिरखाने तो भर जाते हैं।
ओसमणी साहू ‘ओश’ रायपुर (छत्तीसगढ़)