मुश्किल है…
कौन खरा खोटा यहाँ पर
कहना मुश्किल है।
बेरों के वन में केरों का
रहना मुश्किल है ।।
गले तलक आ जाये पानी
तो भी सह लेंगे ।
अगर डुबाना चाहेगा तो
सहना मुश्किल है ।।
नदी की कचड़ा ले जाने
की सीमा होती है ।
कचड़े से ही भर दोगे तो
बहना मुश्किल है ।।
मित्र सुदामा रहे कृष्ण तो
गले लगाते हैं ।
धृतराष्ट्रों को तो बाहों में
गहना मुश्किल है ।।
✍️ सतीश शर्मा ।
सिहोरा( गाडरवारा)
जिला – नरसिंहपुर
(मध्यप्रदेश)