कोई ना मुश्किल-कुशा मिल रहा है।
हर वक्त में बस बुरा हो रहा है।
कोई ना मुश्किल कुशा मिल रहा है।।1।।
खफ़ा करके सब दरख्तों को।
आसमां में तन्हा परिंदा उड़ रहा है।।2।।
थोड़ी तपिश से परेशां हो गए।
सदियों से देखो सेहरा जल रहा है।।3।।
यहां बंजर जमीं तड़प रही है।
अब्र कहींऔर बेवफ़ा बरस रहा है।।4।।
हम ज़िस्म ओ जां थे जिनके।
वो अब गैर पे आशना लग रहा है।।5।।
हर दर पे जाके जियारत की।
खुदा भी ना मेरी दुआ सुन रहा है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ