मुश्किलों से सदा टकराकर चलते रहे
ज़िन्दगी का बोझ उठाकर चलते रहे
मुश्किलों से सदा टकराकर चलते रहे
कदम दर कदम ठोकरें कम होती गईं
हम सफर में ठोकरें खाकर चलते रहे
तक़दीर से कभी कोई शिकवा नहीं किया
ग़म मिले या खुशी मुस्कुराकर चलते रहे
यूं तो बेहद दुश्वार थे मंज़िल के रास्ते “अर्श”
दिल में उम्मीद के चिराग़ जलाकर चलते रहे