मुश्किलों में आबदाना हो गया
इश्क के मरक़ज़ में जाना हो गया
मुस्कुराये इक ज़माना हो गया
जब निगाहें आशिकाना हो गईं
शह्र में ज़ाहिर दिवाना हो गया
बेवफा से आशिकी का ये सिला
दिल ग़मों का कारखाना हो गया
घिर गईं गम की घटायें आज यूँ
मुश्किलों में आबदाना हो गया
फिर नहीं धड़कन चलेगी तेज सी
दिल मिरा अब तो सयाना हो गया
मशविरा तुमसे कभी ना हो सका
इश्क में अपनी चलाना हो गया
लौट आओ जिंदगी में ए सनम
तुमको देखे इक जमाना हो गया
अनुराग हृदयनगरी