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9 Nov 2024 · 1 min read

“मुश्किलों के आगे मंजिलें हैं ll

“मुश्किलों के आगे मंजिलें हैं ll
मंजिलों के पीछे मुश्किलें हैं ll

मुश्किलों-मंजिलों के बीच,
सुकूं के पल धूल में मिले हैं ll

सुख-दुख में पक जाते हैं,
नयन सभी के पिलपिले हैं ll

पुरानी शाखों पर पत्ते तक नहीं है,
नयी शाखों पर नये फूल खिले हैं ll

हार के वक्त साथ देने कोई नहीं आता,
जीत के साथ बधाईयों के काफिलें हैं ll”

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