मुश्किलें आयेंगी तूफान बनकर
मुश्किलें आयेंगी तूफान बनकर
मैं भी खड़ा रहूंगा चट्टान बनकर
तुम करो मज़हब की ठेकेदारी
मैं तो बहुत खुश हूं इंसान बनकर
सूरत से शख्सियत ज़ाहिर नहीं होती
किरदार ही चलेगा पहचान बनकर
गमो से इस क़दर परेशान क्या होना
ये भी आते हैं बस मेहमान बनकर
जहां भी जाऊं तेरे हिसार में रहता हूं
तू छा गई है मुझपे आसमान बनकर
वो जो कभी दिल से अपना कहता था
अब मिलता है “अर्श” अनजान बनकर