मुलाकात !
अब न उनसे फिर मुलाकात होगी
न दिन ढलेगा, न ख़त्म रात होगी,
अब न उन राहों पर फिर हम चलेंगे
न गिले-शिकवों की तहकीकात होगी।
कभी भीड़ में एक चेहरा तुमसा लगेगा
कभी किसी की बातें महज़ इत्तेफाक होंगी,
एक नए सफ़र पर फिर तुम चलोगे
ज़िंदगी में नए रिश्तों की शुरुआत होगी।
मिलने- बिछड़ने का सिलसिला यूँ ही चलेगा
फिर एक मोड़ पर आखिरी बात होगी,
यादों में मेरी तुम फिर भी रहोगे
रिश्तों की बाकी यही सौगात होगी
धुंधले से साये यही कान में कहेंगे
अगले जनम में साथी फिर मुलाकात होगी,
अगली मर्तबा जरा फुर्सत से वहां आना
जहाँ खेल ख़त्म हुआ वहीं से शुरुआत होगी।
© अभिषेक पाण्डेय अभि