मुलाकात
इत्तेफाक नहीं है,
तेरा मेरा मिल जाना.
कुछ तमन्ना तुम्हारी.
चाहत रही कुछ हमारी.
भले वो मुलाकात तुम्हारी.
याद न हो तुम्हें.
हमने सोच लिया था.
तुम्हें अपनाने को.
धड़कने लगा दिल,
मेरे सीने में
अब मेरी जिंदगी देन है तुम्हारी.
इस बगीचे को संवारे या उजाडे.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह