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1 May 2024 · 1 min read

” मुरादें पूरी “

डॉ लक्ष्मण झा परिमल
===============
करूँ तो क्या
करूँ मैं भी ,
नहीं कोई गीत
गाता हूँ !
ना मेरे सुर
कभी लगते ,
मैं लय को
भूल जाता हूँ !!

कहानी गढ़
नहीं सकता
ना कोई लेख
लिखता हूँ
कहना और
कुछ चाहूँ
विषय को
भूल जाता हूँ

कला से दूर
ही रहकर
कलाकारी
को ना जाना
किसे कहते हैं
अभिनय को
उसे हमने
ना पहचाना

खिलाड़ी बन
सके ना हम
सदा खेलों
से डरते थे
रहे हम दूर
इन सब से
नहीं हम
पास आते थे

सभी के भाग्य
जगते हैं
मेरा दिन
कैसे आएगा
मेरी हालत
को देखेगा
मुझे अपना
बनाएगा
मेरे दिन आ
गए अच्छे
किसी दल ने
मुझे चुना
जगे अब
भाग्य मेरे भी
किया सब
बात को सूना

बने नेता
चुनावों में
सभी कर्मठ
मुझे समझा
हुई सब बात
पूरी भी
मैं अपने को
पूर्ण ही समझा !!
=================
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
01.05.2024

Language: Hindi
79 Views
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