*मुरली धन्य हुई जब उसको, मुरलीधर स्वयं बजाते हैं (राधेश्यामी
मुरली धन्य हुई जब उसको, मुरलीधर स्वयं बजाते हैं (राधेश्यामी छंद )
________________________
मुरली धन्य हुई जब उसको, मुरलीधर स्वयं बजाते हैं
गोपी-ग्वाले यमुना तट पर, महफिल क्या खूब सजाते हैं
मटकी फोड़ी माखन खाया, गायों को रोज चराया है
वह रास नहीं भूलेगा जग, जो राधा संग रचाया है
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451