#ग़ज़ल-26
मुमकिन है हर काम हँसके लीजिएगा
गर्दिश में भी आँख ना तुम मीचिएगा/1
तुम मय पीते शोक में हो है बहाना
अच्छा होगा दूर कमियाँ कीजिएगा/2
आँधी में भी जो जले दीपक लुभाए
अपने ग़म को जीत आशा दीजिएगा/3
बातें तेज़ी से बुरी ही हैं लुभाती
होगा मानवता हनन ना रीझिएगा/4
औरों को छोड़ो गिराना बस उठाओ
पानी में पानी मज़ा है सीजिएगा/5
क्या होती है ये छुअन हम क्या बताएँ
छूना साहिल तो लहर से पूछिएगा/6
प्रीतम औरों की ख़ुशी सबको जलाती
पर खुश होना वय बढ़ाता सीखिएगा/7
-आर.एस.’प्रीतम’
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