✍️मुमकिन था..!✍️
✍️मुमकिन था..!✍️
———————————————//
उस हादसे को टालना मुमकिन था
तुझे पाने का लालच भी हसींन था
मेरा तो कोई कद था ना किरदार था
फिर भी आपको मुझ पर यक़ीन था
हाँ दो कदम ही चला था आपके साथ
वर्ना ये सफर तो मेरे लिए अंजान था
वो जाम वो धुँए के कश,रातें रंगीन थी
मौक़ापरस्त मज़ा ले गया,मै क़ुर्बान था
वो रक़ीब था मेरा,बर्दाश्त कर ना पाया
कल उजड़ गया,वो मेरा ही मकान था
माना अंजाने में सही गुनाह तो गुनाह है
आप बोले सो कायदा ये कहाँ कानून था
————————————————–//
✍️”अशांत”शेखर✍️